Why we Celebrate Chhath Puja | क्यों मनाते है छठ का त्योहार?
Chhath Puja, जिसे ‘छठ, छइठ, छठ व्रत, छठी मइया, रनबे माय, डाला छठ, सूर्य षष्ठी और छठ पर्व’ के नाम से भी जाना जाता है, छठ पूजा एक अत्यंत पूजनीय और प्राचीन हिंदू त्योहार है जो मुख्य रूप से भारतीय राज्य बिहार, बंगाल, झारखंड, उत्तर प्रदेश और भारत के पड़ोसी देश, नेपाल के कुछ हिस्सों में सर्वकामना पूर्ति के उद्देश्य से मनाया जाता है। यह त्योहार सूर्य देव, उनकी पत्नी उषा और प्रत्यूषा और षष्ठी की देवी छठी मैया को समर्पित है। अर्थात इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है।
Chhath Puja आमतौर पर Diwali के छह दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष अक्टूबर या नवंबर के महीने में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाई जाती है। यह व्रत महिला और पुरुष दोनों ही भगवान को प्रसन्न और मनोकामना पूर्ति करने के लिए करते है।
Chhath Puja का महत्व
Diwali के छह दिन बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष को यह व्रत मनाये जाने पर इस को छठ व्रत के नाम से जाना जाता है, छठ व्रत बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि व्रत करने वाले भक्तों के परिवार के सदस्यों की खुशहाली, समृद्धि, लंबी उम्र और अच्छा स्वास्थ्य के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना है और इसे पिछले पापों के लिए क्षमा मांगने तथा परिवार और दोस्तों की भलाई के लिए करते है।
Chhath Puja का कृषि से भी गहरा संबंध है। यह फसल के मौसम के अंत और सर्दियों की फसलों की बुआई की शुरुआत का प्रतीक है। यह त्यौहार अच्छी फसल के लिए सूर्य देव को धन्यवाद देने और अगले कृषि चक्र के लिए आशीर्वाद मांगने का एक तरीका है।
Chhath Puja का केंद्र बिंदु सूर्य की पूजा है, जिसे पृथ्वी पर ऊर्जा और जीवन का अंतिम स्रोत माना जाता है। लोग प्रकाश, गर्मी और ऊर्जा प्रदान करने के लिए सूर्य देव को अपना आभार प्रकट करते हैं।
Chhath Puja Ki Story
Chhath Puja की जड़ें प्राचीन वैदिक परंपराओं से जुडी हैं। ऐसा माना जाता है कि भारत में यह व्रत 2,000 वर्षों से भी अधिक समय से गहरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है और इसकी उत्पत्ति और महत्व के साथ कई कहानियां जुड़ी हुई हैं। छठ पूजा के पीछे सबसे प्रसिद्ध कहानियों में से एक राजा प्रियव्रत और उनकी पत्नी मालिनी की कहानी है।
राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी की कथा:
पौराणिक कथाओ के अनुसार बहुत समय पहले प्रियव्रत नाम के एक धर्मात्मा राजा थे। राजा प्रियव्रत और उनकी रानी मालिनी, भगवान सूर्य के अनुयायी थे। वे अपने राज्य पर दयालु और न्यायपूर्ण शासन के लिए जाने जाते थे और अपनी प्रजा के प्रिय थे। हालाँकि, धन-संपदा और समृद्धि के बावजूद, राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी लंबे समय से निःसंतान थे। सिंहासन के उत्तराधिकारी न होने के कारण वह बहुत दुखी थे।
संतान प्राप्ति के लिए राजा प्रियव्रत, कश्यप ऋषि के पास उपाय के लिए गए, कश्यप ऋषि ने संतान प्राप्ति के लिए उनको यज्ञ करने को कहां। राजा प्रियव्रत ने यज्ञ का आयोजन करा ऋषि कश्यप ने यज्ञ के लिए बनाये प्रसाद खीर को रानी मालिनी को खाने को दिया। खीर खाने के कुछ समय बाद रानी ने मृत पुत्र जन्म दिया।
राजा मृत संतान की सुचना पाकर बहुत दुखी हुए, वे अपने मृत पुत्र को लेकर शमशान गए और पुत्र के दुःख में अपने भी प्राण त्यागने लगे उसी समय एक देवी देवसेना प्रकट हुई राजा उसे देखकर अचंभित हो गए उन्होंने देवी से पूछा आप कौन है?
देवी ने राजा को बताया मेरा नाम षष्टी है मैं सृष्टि के छठे अंश से उत्पन्न हुई हूँ। देवी ने राजा को अपनी पूजा करने का आदेश दिया। राजा ने संतान प्राप्ति की इच्छा से देवी षष्टी का उपवास किया। राजा प्रियव्रत और रानी मालिनी की भक्ति और तपस्या इतनी गहरी थी जिससे उन्हें शीघ्र ही पुत्र की प्राप्ति हुई जिस दिन राजा प्रियव्रत ने यह व्रत रखा था उस दिन कार्तिक शुक्ल षष्टी थी ऐसा माना जाता है तभी से छठी मैया की पूजा प्रारम्भ हुई।
Chhath Puja 2023 Date
Chhath Puja दिवाली से छह दिन बाद मनाया जाता है, जो चार दिवसीय उत्सव होता है। Chhath Puja 2023 में, Friday 17th November से Monday 20th November तक है।
Chhath Puja की तैयारी
Chhath Puja की तैयारियां बड़े ही उत्साह और भक्ति से की जाती हैं। व्रत करने वाले अपने घरों की साफ सफाई और रंग रोगन करते हैं। इस पर्व में पवित्रता और शुद्धता पर खास ध्यान दिया जाता है। छठ पर्व के नियमों का बड़ी सख्ती के साथ पालन किया जाता है। अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ मिलकर पूजा की तैयारी करते हैं। छठ पूजा के लिए नए कपड़े, बर्तन और प्रसाद बनाने के लिए शुद्ध सामग्री जैसे केले के पत्ते, गन्ने, मौसमी फल, कपूर, दीपक, दूध, पान के पत्ते, सुपारी, अगरबत्ती, सिंदूर, कुछ सब्जियाँ, टोकरी-सुप आदि खरीदना अनिवार्य हिस्सा है।
अनुष्ठान और परंपराएँ
Chhath Puja आम तौर पर चार दिनों तक चलती है यह व्रत बहुत कठिन होता है। और इसमें कई अनुष्ठान शामिल हैं:
Day 1: नहाय खाय
पहला दिन, जिसे “नहाय खाय” के नाम से जाना जाता है, इस दिन पुरे घर की अच्छे से सफाई की जाती है और फिर प्रसाद तैयार किया जाता है प्रसाद में इस दिन चावल, लौकी की सब्जी और चने की दाल बनाते है, पूजा करने के बाद प्रसाद पहले व्रत रखने वाले खाते है और अपना उपवास शुरू करते हैं, जो अगले 36 घंटों तक चलता है। बाद में घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद दिया जाता है।
Day 2: खरना
दूसरे दिन को “खरना” कहा जाता है जिसमे व्रतधारी पुरे दिन निर्जला व्रत रखते हैं। शाम को प्रसाद के रूप में गुड़ से बनी खीर और गेहू की रोटी बनाई जाती है और जितने टोकरी की मन्नत होती है उतने ही प्रसाद केले के पत्ते पर रखे जाते है, उसके बाद पूजा और भोग लगाया जाता है फिर व्रती को प्रसाद देकर बाकि सदस्य प्रसाद ग्रहण करते है इस दिन व्रती अकेले रहते है।
Day 3: संध्या (सांझिया) अर्घ्य
तीसरे दिन की शाम व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य (जल, दूध और फल) देते है। इस दिन गेहूं के आटे, चीनी और घी से बना प्रसाद जिसे “ठेकुआ” कहा जाता है तैयार किया जाता है। अर्घ्य देने के लिए पूजा की टोकरी बनाई जाती है जिसमे ठेकुआ, खजुरिया, फल, मूली,पानी वाला नारियल और पूजा की सामग्री रखी जाती है जिसे लेकर नदी या तालाब के किनारे व्रती पानी में घुटनो तक खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देते है और परिवार के बाकि सदस्य भक्ति गीत और भजन गाकर सूर्य देव की पूजा करते है और अपने परिवार के लिए आशीर्वाद मांगते हैं।
Day 4: उषा (बिहनिया) अर्घ्य
संध्या अर्घ्य देने के बाद व्रती अपने घर के आँगन या छत पर रात को पूजा करते है जिसे कोसी पूजा कहते है इसमें गन्ने से मंडप तैयार किया जाता है जिसके नीचे मिट्टी से बने हाथी, 12 या 24 दीये जलाये जाते है, प्रसाद में मौसमी फल- सब्जी, ठेकुआ, सुथनी और जो सामग्री संध्या अर्घ्य में रखा जाता है वो सभी सामान रख कर पूजा हवन किया जाता है और अगली सुबह इसी विधि विधान के साथ उगते सूर्य को अर्घ्य देकर छठी मैया की आराधना की जाती है यह छठ पूजा उत्सव के समापन का प्रतीक है।और भक्त अपने परिवार और संतान की स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली के लिए सूर्य देव से आशीर्वाद मांगते हैं।
Chhath Puja अपने अनोखे रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों के लिए जानी जाती है, जिसमें उपवास, लंबे समय तक पानी में खड़े रहना और सूर्य को अर्घ्य देना शामिल है। यह भक्तों के लिए सूर्य की जीवनदायिनी ऊर्जा के लिए उनका आभार व्यक्त करने और अपने परिवारों के लिए उनका आशीर्वाद मांगने का एक तरीका है। यह त्यौहार लोगों के एक साथ आने, सामुदायिक संबंधों को मजबूत करने और क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जश्न मनाने का भी एक अवसर है।
निष्कर्ष
Chhath Puja एक खूबसूरत त्योहार है जो प्रकृति, सूर्य देव के प्रति श्रद्धा और जीवन में पवित्रता के महत्व का प्रतीक है। यह आस्था और भक्ति का एक अनूठा उत्सव है जो लोगों को अपनी जड़ों और एक-दूसरे के करीब लाता है।
FAQ: Chhath Puja पर पूछे जाने वाले कुछ सवाल
Q1. छठ पूजा का महत्व क्या है?
A1. छठ पूजा सूर्य देव से आशीर्वाद लेने और अपने परिवार और संतान की अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु के लिए मनाई जाती है।
Q2. छठ पूजा कब से मनाई जाती है?
A2. छठ पूजा का अभ्यास 2,000 वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है और इसका उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों में भी मिलता है।
Q3. छठ पूजा के लिए श्रद्धालु कैसे तैयारी करते हैं?
A3. छठ पूजा की तैयारी में सफाई, उपवास और पोशाक और प्रसाद शामिल है।
Q4. छठ पूजा के प्रमुख अनुष्ठान क्या हैं?
A4. त्योहार में चार दिनों के अनुष्ठान शामिल हैं, जिनमें नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य शामिल हैं।
Q5. 2023 में छठ पूजा कब है?
A5. छठ पूजा 2023 में, 17th November से 20th November तक है।