India National Song “Vande Mataram”| भारत का राष्ट्रीय गीत
परिचय
भारत की सांस्कृतिक विविधता और ऐतिहासिक समृद्धि के बीच, एक गूंजता हुआ राग देशभक्ति और राष्ट्रीय उत्साह के प्रतीक के रूप में खड़ा है – “वंदे मातरम (Vande Mataram)”यह प्रतिष्ठित रचना, जिसे अक्सर भारत के राष्ट्रीय गीत के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है, ने खुद को राष्ट्र की सामूहिक चेतना में शामिल कर लिया है, जिससे एकता और गौरव की गहरी भावना पैदा होती है।
Vande Mataram की उत्पत्ति और विकास
भारत के इतिहास में, “वंदे मातरम (Vande Mataram)” के धागों की उत्पत्ति 1870 के दशक में हुई, जिसे प्रसिद्ध बंगाली कवि और उपन्यासकार बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय (Bankim Chandra Chattopadhyay) ने बुना था। यह काव्य कृति सबसे पहले उनके प्रसिद्ध उपन्यास “आनंदमठ (Anandamath)” के पन्नों में छपी, जिसका उद्देश्य मातृभूमि के प्रति गहरी श्रद्धा पैदा करना और सामूहिक उद्देश्य की भावना को प्रज्वलित करना था। इसके पहले दो छंदों को औपचारिक रूप से 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस द्वारा राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया था।
जैसे-जैसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम ने गति पकड़ी, “वंदे मातरम (Vande Mataram)” ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रतिरोध के एक शक्तिशाली प्रतीक में बदल गया। इस गीत को रबींद्रनाथ टैगोर, बिपिन चंद्र पाल और लाला लाजपत राय जैसे दिग्गजों की आवाज़ों के माध्यम से एक गूंज मिली, जिन्होंने जनता को एकजुट करने और साहस की लौ जलाने के लिए इन छंदों का इस्तेमाल किया।
Vande Mataram का विवाद और संगम
फिर भी, सभी महत्वपूर्ण चीजों की तरह, “वंदे मातरम (Vande Mataram)” भी विवादों से अछूता नहीं रहा। विशेष रूप से गीत के धार्मिक स्वरों पर, जिसमें देवी दुर्गा का संदर्भ भी शामिल है, भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण उभरे। स्वतंत्रता-पूर्व युग के दौरान, इन संदर्भों के कारण धार्मिक अल्पसंख्यकों के संभावित बहिष्कार के बारे में चिंता व्यक्त की गई थी।
केवल पहले दो छंदों को अपनाने की वकालत करके इन आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया गया, जिसमें मातृभूमि के प्रति प्रेम का व्यापक संदेश समाहित था। हालाँकि, गीत के धार्मिक अर्थों पर बहस जारी रही, जिसके कारण इसे भारतीय संविधान में राष्ट्रगान (National Anthem) का दर्जा देने के खिलाफ निर्णय लिया गया।
“भारत के राष्ट्रीय गीत (India National Song)” के रूप में अपनाए गए “वंदे मातरम (Vande Mataram)” के छंद इस प्रकार हैं:
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलाम्
मलयजशीतलाम्
शस्यश्यामलाम् मातरम्।
वन्दे मातरम्।
शुभ्रज्योत्स्नाम्
पुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमित
द्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीम्
सुमधुर भाषिणीम्
सुखदाम् वरदाम्
मातरम्॥
वन्दे मातरम्।
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
Vande Mataram का भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने पर प्रभाव
भारत की संस्कृति में, “वंदे मातरम (Vande Mataram)” ने एक अमिट छाप छोड़ी है जो सीमाओं और भाषा बाधाओं से परे फैली हुई है। इसके विचारोत्तेजक छंदों ने सभी भारतीयों के बीच देशभक्ति और गौरव को जगाते हुए गहराई से प्रतिध्वनित किया है। राजनीतिक मंचों और सार्वजनिक समारोहों से परे, गीत को संगीत से लेकर साहित्य और सिनेमा तक विभिन्न कला रूपों द्वारा अपनाया गया है। प्रख्यात कलाकारों और संगीतकारों ने अपनी प्रस्तुति दी है, जिससे इसमें में ताजा जोश और समकालीन संवेदनाओं से संबंधित व्याख्याएं भर गई हैं।
लोकप्रिय परिवेश में Vande Mataram
Vande Mataram की अदम्य उपस्थिति भारत की लोकप्रिय संस्कृति में निर्बाध रूप से फैली हुई है। इसके छंदों ने फिल्मों, वृत्तचित्रों और टेलीविजन प्रस्तुतियों में अपनी जगह बना ली है जो भारत की ऐतिहासिक यात्रा और स्वतंत्रता के लिए उसके संघर्ष का जश्न मनाते हैं। मधुर पंक्तियों को प्रतिष्ठित पार्श्व गायकों द्वारा भावपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया है, जिससे पीढ़ियों तक इसका महत्व और भी बढ़ गया है।
इसके अलावा, Vande Mataram भारत की विविधता के बीच एकता को समाहित करने का प्रयास करने वाले कवियों और लेखकों के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। इसकी गूँज साहित्यिक कृतियों में गूंजती है, जो विपरीत परिस्थितियों में लचीलेपन और आशावाद का प्रतीक है।
Vande Mataram की समसामयिक प्रासंगिकता
आधुनिक युग की जटिलताओं के बीच, वंदे मातरम एक एकीकृत गान के रूप में अपनी प्रासंगिकता बरकरार रखता है जो सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विभाजन से परे है। यह स्वतंत्रता के लिए भारत के कठिन संघर्ष और उज्जवल भविष्य की खोज में अनगिनत आत्माओं के बलिदान की याद दिलाता है। राष्ट्रीय गीत (National Song) के भावपूर्ण छंद नागरिकों को न्याय, समानता और भाईचारे के मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करते हैं।
जैसे-जैसे भारत परिवर्तन की धारा में आगे बढ़ रहा है और नई चुनौतियों से जूझ रहा है, Vande Mataram एक अटूट प्रकाशस्तंभ के रूप में कार्य करता है, जो नागरिकों से देश की उन्नति के लिए अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहने का आग्रह करता है। मातृभूमि के प्रति प्रेम और उसकी भलाई के प्रति समर्पण का इसका संदेश अंतर्संबंध और वैश्वीकरण द्वारा चिह्नित दुनिया में शानदार ढंग से गूंजता है।
Original Vande Mataram Lyrics (Devnagri)
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलाम्
मलयजशीतलाम्
शस्यश्यामलाम्
मातरम्।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम्
सुखदां वरदां मातरम्॥
सप्त-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
द्विसप्त-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बॅले
बहुबलधारिणीं
नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं
मातरम्॥
तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वम् हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडी मन्दिरे-मन्दिरे॥
त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम्
नमामि कमलाम्
अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलाम्
मातरम्॥
वन्दे मातरम्
श्यामलाम् सरलाम्
सुस्मिताम् भूषिताम्
धरणीं भरणीं
मातरम्॥
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय
Original Vande Mataram meaning in Hindi
हे माँ मैं तेरी वन्दना करता हूँ
तेरे अच्छे पानी, अच्छे फलों,
सुगन्धित, शुष्क, उत्तरी समीर (हवा)
हरे-भरे खेतों वाली मेरी माँ।
सुन्दर चाँदनी से प्रकाशित रात वाली,
खिले हुए फूलों और घने वृ़क्षों वाली,
सुमधुर भाषा वाली,
सुख देने वाली वरदायिनी मेरी माँ ॥ १ ॥
तीस करोड़ कण्ठों की जोशीली आवाज़ें,
साठ करोड़ भुजाओं में तलवारों को धारण किये हुए
क्या इतनी शक्ति के बाद भी, हे माँ तू निर्बल है,
तू ही हमारी भुजाओं की शक्ति है,
मैं तेरी पद-वन्दना करता हूँ मेरी माँ ॥ २ ॥
तू ही मेरा ज्ञान, तू ही मेरा धर्म है,
तू ही मेरा अन्तर्मन, तू ही मेरा लक्ष्य,
तू ही मेरे शरीर का प्राण,
तू ही भुजाओं की शक्ति है,
मन के भीतर तेरा ही सत्य है,
तेरी ही मन मोहिनी मूर्ति एक-एक मन्दिर में ॥ ३ ॥
तू ही दुर्गा दश सशस्त्र भुजाओं वाली,
तू ही कमला है, कमल के फूलों की बहार,
तू ही ज्ञान गंगा है, परिपूर्ण करने वाली,
मैं तेरा दास हूँ, दासों का भी दास,
दासों के दास का भी दास,
अच्छे पानी अच्छे फलों वाली मेरी माँ,
मैं तेरी वन्दना करता हूँ ॥ ४ ॥
लहलहाते खेतों वाली, पवित्र, मोहिनी,
सुशोभित, शक्तिशालिनी, अजर-अमर
मैं तेरी वन्दना करता हूँ ॥ ५ ॥
Original Vande Mataram Lyrics (English)
Vande Mataram
Sujalam suphalam
malayaja shitalam
Shasyashyamalam
Mataram
Shubhra-jyotsna pulakita-yaminim
Phullakusumita drumadala shobhinim
Suhasinim sumadhura bhashinim
Sukhadam varadam Mataram
Sapta-koti-kantha-kala-kala-ninada-karale
Dvisapta-koti-bhujair dhrita-khara karavale,
Abala kena ma eta bale
Bahubala dharinim
namami tarinim
Ripudalavarinim
Mataram
Tumi vidya, tumi dharma,
Tumi hridi, tumi marma,
Tvam hi pranah sharire,
Bahute tumi ma shakti,
Hridaye tumi ma bhakti,
Tomarayi pratima gari mandire mandire
Tvam hi Durga dashapraharana dharini
Kamala Kamaladalaviharini
Vani vidyadayini
namami tvam
Namami Kamalam
amalam atulam
Sujalam suphalam
Mataram
Vande Mataram
Shyamalam saralam
susmitam bhushitam
Dharanim bharanim
Mataram
निष्कर्ष
Vande Mataram, भारत का राष्ट्रीय गीत (India National Song), केवल शब्दों और धुनों की एक रचना से कहीं अधिक है; यह भारत की भावना और संकल्प का सार समाहित करता है। एक उपन्यास के पन्नों से एक श्रद्धेय गान तक की इसकी यात्रा इसकी स्थायी क्षमता का प्रतीक है। जैसे-जैसे भारतीय श्रद्धा के साथ इसके छंदों को दोहराते रहते हैं, वे अतीत के बलिदानों को श्रद्धांजलि देते हैं और अपनी प्यारी मातृभूमि के लिए एक उज्जवल, अधिक सामंजस्यपूर्ण भविष्य बनाने के लिए अपने समर्पण की पुष्टि करते हैं।